(1)
तुम ही कहो
ये भी कोई बात है
अपना ही अपना
गौरवगान
समझदारी नहीं
दर्प का पर्याय है
(2)
बुरी बात है
किसी की ना सुनना
मनमानी करना
जिद्द होती है
यदि जाना है आगे
सब के साथ चलो
(3)
भोर का तारा
कर रहा इशारा
दिन की शुरुआत
ऊषा के साथ
कल को भूल कर
आज की नींव रख
XXXXX
बहुत सुंदर 👌👌
जवाब देंहटाएंआभार अनुराधा जी।
जवाब देंहटाएंAti sunder
जवाब देंहटाएंअति आभार सारांश ।
जवाब देंहटाएंभोर का तारा
जवाब देंहटाएंकर रहा इशारा
दिन की शुरुआत
ऊषा के साथ
कल को भूल कर
आज की नींव रख.... बहुत सुंदर
सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु अति आभार 🙏
हटाएंयदि जाना है आगे
जवाब देंहटाएंसब के साथ चलो
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ ही एक सशक्त सन्देश भी है इस रचना में।
आपकी प्रतिक्रियाएं सदैव उत्साहवर्धित करती हैं संजय जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 02 सितम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार मेरे सृजन को "पाँँच लिंकों का आनन्द मेंं" शामिल कर मान देने के लिए । आप से जुड़ना मेरे लिए सदैव हर्ष का विषय होता है ।
हटाएंआशा का संचार करती सुंदर रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए आपका बहुत बहुत आभार ज्योति ।
हटाएंअरे वाह्हह... बहुत सुंदर सेदोका लिखा है आपने मीना जी। आपकी विविधता पूर्ण विधाओं में लिखी रचनाएँ सदैव प्रभावित करती है। आपकी प्रतिभाशाली लेखनी के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार श्वेता जी :-)
जवाब देंहटाएंयदि जाना है आगे
जवाब देंहटाएंसब के साथ चलो
शिक्षाप्रद रचनाएं
आपका स्वागत पथिक जी ब्लॉग पर, सृजन की सराहना हेतु अति आभार ।
हटाएंसुविचार से परामर्श सेदोका मीना जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर।
सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
हटाएंसुंदर लेखन।
जवाब देंहटाएंआभार रोहिताश्व जी ।
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद लोकेश नदीश जी ।
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