(1)
बहते दरिया सा हो जीवन
करें सुकर्म रखें पुनीत मन
प्रगति पथ पर बढ़ते जाएँ
राग-द्वेष का कलुष मिटाएँं
राग-द्वेष का कलुष मिटाएँं
निर्मल जल सा अपना हो मन
ज्योतिर्मय हो सब का जीवन
ज्योतिर्मय हो सब का जीवन
( 2 )
डाल से विलग पत्ती
ब्याह के बाद बेटी
अपनों से बिछड़
गैर सी आंगन में खड़ी
गैर सी आंगन में खड़ी
दिल में कसक
लबों पे मुस्कुराहट
दृगों में नमी और
गुम वजूद की चाहत
XXXXX
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सतीश सही जी ।
हटाएंवआआह.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
सादर.....
अति आभार 🙏 आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई , सादर ...,
हटाएंजय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 28/08/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत बहुत धन्यवाद कुलदीप जी मेरी रचना को मान देने के लिए . "पांच लिंकों का आनंद' से जुड़ना मेरे लिए सदैव गर्व का विषय होता है.
हटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचनाएं
जवाब देंहटाएंस्वागत आपका "मंथन" पर , आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद अभिलाषा जी ।
जवाब देंहटाएंबेटियों का जीवन ऐसा ही है ... पर संसार उनके बल पर ही है ...
जवाब देंहटाएंदोनो लाजवाब ...
उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार नासवा जी ।
हटाएंदोनों कवितायें बहुत सुंदर , बेटी वाली कविता मन को गहरे छू गयी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन के लिए 🙏 🙏
हटाएंबेहद खूबसूरत कृति है मीना जी।
जवाब देंहटाएंछोटी कविताओं ने बड़ी बात कितनी सादगी से कह दिया।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी ।
हटाएंबहुत ही सुंदर लेखना। शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद पुरूषोत्तम सिन्हा जी ।
हटाएंवाह!!!मीना जी ,लाजवाब !!
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए हृदयतल से धन्यवाद शुभा जी ।
हटाएंक्षमा चाहता हूँ, ब्याह के बाद बेटी एक पौधा होती है जो दूसरी जगह जा फलती-फूलती है ! डाल से अलग हुई पत्ती नहीं जिसका अस्तित्व ही मिट जाता है !
जवाब देंहटाएंयूं तो बेटियां दो कुलों का मान रखती हैं , देवी तुल्य होती हैं मगर सब को यह सुख नसीब नहीं होता बहुत बड़ा हिस्सा उन बेटियों का भी है जो ससुराल और मायके दोनों स्थानों पर उपेक्षिता होती हैं । रही बात अस्तित्व की तो वह तो नश्वर है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा
जवाब देंहटाएंआभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंबेहतरीन कविताएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अनुराधा जी ।
हटाएंBahut hi sunder kavita
जवाब देंहटाएंThank you Saransh.
हटाएंकाफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कृति में सुन्दर अति सुन्दर.......बेहतरीन रचनाएं मीना जी
जवाब देंहटाएंअति आभार संजय जी , सृजन की प्रशंसा उत्साहवर्धन कर और बेहतर लेखन के लिए प्रेरित करती है । पुनः बहुत बहुत आभार 🙏
हटाएं