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बुधवार, 22 अगस्त 2018

।।चौपाई ।। "सपना"

नील गगन आंगन में तारे  ।
निशदिन हम को तकते सारे ।।

सोचूं इक दिन इनको जानूं ।
मन की सब बातें पहचानूं  ।।

सोचा मैं अम्बर पर जाऊं  ।
तारों की झोली भर लाऊं  ।।

टकेंगे जब चूनर पर सारे  ।
जुगनूु  छुप जायेंगे सारे  ।।

चूनर  ओढ़ेगी जब सजनी  ।
शर्मायेगी देख के रजनी  ।।

चाँद धरा के ऊपर होगा  ।
तरुणी मुख चन्दा सम होगा ।।

XXXXX

33 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर रचना ...
    सपने में इंसान की उड़ान कहाँ से कहाँ पहुँच जाती है ...
    हर छंद कमाल है ...

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  2. अभिव्यक्ति सराहना के लिए हृदयतल से धन्यवाद आशुतोष जी ।

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  3. मीना दी, सपनों की उड़ान का बहुत ही सुंदर चित्रण किया हैं आपने।

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    1. सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद ज्योति ।

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  4. बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....

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    उत्तर
    1. सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद संजय जी ।

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  5. चूनर ओढ़ेगी जब सजनी ।
    शर्मायेगी देख के रजनी ।।... बहुत खूब

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति मीना जी

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  7. बहुत बहुत आभार सतीश सही जी ।

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  8. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/84.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  9. आभार राकेश जी "मित्र मंडली" में रचना को स्थान देने के लिए ।

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  10. श्रृंगार और सौन्दर्य उस कर कोमल भाव बहुत सुंदर कविता मीना जी, लालित्य और मधुरिमा समेटे अप्रतिम रचना।

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  11. सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी ।

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  12. वाह- मीना जी अत्यंत मानभावन सपना !!!!!! बालसुलभ कल्पना - नभ के खिलखिलाते आंगन को देखने की, तारों को झोली में भरते की | भ्रम है पर कितना मनोरम है ये सपना !!!!!! सस्नेह

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    1. आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद रेणु जी !! सस्नेह .

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  13. स्वागत आपका "मंथन" पर । आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏 .

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  14. उत्तर
    1. स्वागत आपका "मंथन" पर और तहेदिल से शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए ।

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  15. उत्तर
    1. स्वागत आपका "मंथन" पर और तहेदिल से शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए सरिता जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"