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बुधवार, 1 अगस्त 2018

"लिखना"

ख़त में बातें सुहानी लिखना ।
अपनी कोई निशानी लिखना ।।
मिलेंगे हम मुद्दतों के बाद ।
नेह से नाम दीवानी  लिखना ।।

जिन्दगी की रवानी लिखना ।
मन की बात पुरानी लिखना ।।
पुल बने हैं एक अर्से के बाद ।
भूली कोई कहानी लिखना ।।

अपनी सब नादानी लिखना ।
जज़्बात सभी रूहानी लिखना ।।
झांक कर अतीत के झरोखे से ।
यादें अपनी नूरानी लिखना ।।

जानी या अनजानी लिखना ।
अपनी सब मनमानी लिखना ।।
ख़त पर मेरा पता लिखो तब ।
श्याम की राधा रानी लिखना ।।
  xxxxxxx

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही लाजवाब ...
    ख़त का पता ही प्रेम का सागर है जो हिलोरें ले रहा है ... समर्पण का भाव और प्रेम के सत्य को जानने का प्रयास करती रचना ...

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    1. इतनी सुन्दर व्याख्यायित प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद नासवा जी ।

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  2. शानदार ....खास तौर से ये पंक्तिया .
    मिलेंगे हम मुद्दतों के बाद ।
    नेह से नाम दीवानी लिखना ।।
    पुराने दिन,पुराना यादें अनलिखे खत के लिखे जाने की प्रतीक्षा..बेहद खूबसूरत :)

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  3. उत्साहवर्धन करती ऊर्जात्मक प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद संजय जी :)

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  4. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/81.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. "मित्र मंडली" में मेरी रचना शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार राकेश जी

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  5. जानी या अनजानी लिखना ।
    अपनी सब मनमानी लिखना

    हृदय को स्पर्श करती पक्तियां

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  6. ब्लॉग "मंथन" पर आपका स्वागत । रचना सराहना के लिए भी हृदयतल से धन्यवाद ।

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"