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शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

"परामर्श" (सेदोका)

(1)            

तुम ही कहो
ये भी कोई बात है
अपना ही अपना
गौरवगान
समझदारी नहीं
दर्प का पर्याय है

   (2)

बुरी बात है
किसी की ना सुनना
मनमानी करना
जिद्द होती है
यदि जाना है आगे
सब के साथ चलो

     (3)

भोर का तारा
कर रहा इशारा
दिन की शुरुआत
ऊषा के साथ
कल को भूल कर
आज की नींव रख

       XXXXX

रविवार, 26 अगस्त 2018

"आशाएँँ " (लघु कविताएँ)

  (1) 

बहते दरिया सा हो जीवन
करें सुकर्म रखें पुनीत मन

प्रगति पथ पर बढ़ते जाएँ
राग-द्वेष का कलुष मिटाएँं

निर्मल जल सा अपना हो मन
ज्योतिर्मय हो सब का जीवन


         ( 2 )

डाल से विलग पत्ती
ब्याह के बाद बेटी

अपनों से बिछड़
गैर सी आंगन में खड़ी

दिल में कसक
लबों पे मुस्कुराहट

दृगों में नमी और
गुम वजूद की चाहत

XXXXX

बुधवार, 22 अगस्त 2018

।।चौपाई ।। "सपना"

नील गगन आंगन में तारे  ।
निशदिन हम को तकते सारे ।।

सोचूं इक दिन इनको जानूं ।
मन की सब बातें पहचानूं  ।।

सोचा मैं अम्बर पर जाऊं  ।
तारों की झोली भर लाऊं  ।।

टकेंगे जब चूनर पर सारे  ।
जुगनूु  छुप जायेंगे सारे  ।।

चूनर  ओढ़ेगी जब सजनी  ।
शर्मायेगी देख के रजनी  ।।

चाँद धरा के ऊपर होगा  ।
तरुणी मुख चन्दा सम होगा ।।

XXXXX

शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

"कुछ नये के फेर में"

कुछ नये के फेर में ,
अपना पुराना भूल गए ।
देख मन की खाली स्लेट ,
कुछ सोचते से रह गए ।।

ढलती सांझ का दर्शन ,
शिकवे-गिलों में डूब गया ।
दिन-रात की दहलीज पर मन ,
सोचों में उलझा रह गया ।।

दो और दो  के जोड़ में ,
भावों का निर्झर सूख गया ।
तेरा था साथ रह गया ,
मेरा सब पीछे छूट गया ।।

XXXXX

बुधवार, 15 अगस्त 2018

" स्वन्तत्रता दिवस"

आओ सब मिल कर आज ,स्वन्तत्रता दिवस मनायें ।

शहीदों को याद करें ,
मान से शीश झुकायें ।।
फहरायें तिरंगा शान से ,
गर्व से जन गण मन गायें ।।

आओ सब मिल कर आज ,स्वन्तत्रता दिवस मनायें ।

सीखें समानता बन्धुता का पाठ ,
राष्ट्र का मान बढ़ायें ।
त्यागें राग द्वेष का भाव ,
कुटुम्ब खुशहाल बनायें ।।

आओ सब मिल कर आज ,स्वन्तत्रता दिवस मनायें ।

व्यक्तिगत को भूल कर ,
समष्टिगत को जीवन सार बनायें ।
करें सब की इच्छा का आदर ,
सामान्य इच्छा का सिद्धांत अपनायें ।।

आओ सब मिल कर आज ,स्वन्तत्रता दिवस मनायें ।

XXXXX

गुरुवार, 9 अगस्त 2018

।। दोहे ।। "सावन”

(1)      उमड़ घुमड़ कर छा गए, बादल ये घनघोर ।
इन्द्र देव की है कृपा , नाचें मन का मोर ।।

(2) सावन आया हे सखी , तीजों का त्यौहार ।
पहन लहरिया आ गई , मूमल सी घर नार ।।

(3) गूंजे मीठी  बोलियां , गीतों की भरमार ।
भाई आया पाहुना , राखी का त्यौहार ।।

(4) मैं पूजूं शिव पार्वती ,  करूं यही अरदास ।
दया रहे बस आपकी , सुखी रहे घर बार ।।

(5) हो सम्पन्न वसुंधरा , सजे खेत खलिहान ।
आलम्बन निज मान के , बने सभी इन्सान ।।

               

                          XXXXX


शनिवार, 4 अगस्त 2018

"कभी तो मिलने आया करो"

कभी तो मिलने आया करो ।
अपने हो याद दिलाया करो ।।

महंगा हो गया वक्त आजकल ।
मिले तो साथ निभाया करो ।।

उलझनों को बांध गठरी में ।
बाहर ही छोड़ आया करो ।।

फबती है मुस्कान तुम पर ।
इसे लबों पर सजाया करो ।।

करते रहेंगे सब नुक्ताचीनी ।
अपना हुनर आजमाया करो ।।

दुनियां के बाजार में भीड़ बहुत ।
अर्जमन्दी से राहें बनाया करो ।।

फूलों ढकी राहें  होती नहीं कभी ।
जैसी मिले राह चलते जाया करो ।।

XXXXX


बुधवार, 1 अगस्त 2018

"लिखना"

ख़त में बातें सुहानी लिखना ।
अपनी कोई निशानी लिखना ।।
मिलेंगे हम मुद्दतों के बाद ।
नेह से नाम दीवानी  लिखना ।।

जिन्दगी की रवानी लिखना ।
मन की बात पुरानी लिखना ।।
पुल बने हैं एक अर्से के बाद ।
भूली कोई कहानी लिखना ।।

अपनी सब नादानी लिखना ।
जज़्बात सभी रूहानी लिखना ।।
झांक कर अतीत के झरोखे से ।
यादें अपनी नूरानी लिखना ।।

जानी या अनजानी लिखना ।
अपनी सब मनमानी लिखना ।।
ख़त पर मेरा पता लिखो तब ।
श्याम की राधा रानी लिखना ।।
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