हम मिलें यह इजाजत नही है
आप से तो शिकायत नहीं है
आप से तो शिकायत नहीं है
नक्श दिल से मिटाये हमारे ।
फिर हमें भी लगावट नहीं है ।।
इश्क करना बुराई कहां है ।
हम करें यह इनायत नही है।।
हम करें यह इनायत नही है।।
क्यों रखे यूं अजनबी निगाहें ।
आप से तो अदावत नहीं है ।।
तुम कहो दास्ताने मुहब्बत ।
हम सुने तो शराफत नही है ।।
XXXXX
बहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंआख़िर शेर तो बहुत कमाल है ... उर सच भी है ...
ये अदा है प्रेम करने वालों की ...
तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 26 जुलाई 2018 को प्रकाशनार्थ 1105 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
"पांच लिंको का आनंद" में मेरी रचना को शामिल कर मान देने के लिए बहुत बहुत आभार रविन्द्र सिंह जी ।
हटाएंवाह उम्दा और तंज भी बेहतरीन शेर हर एक।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना मीना जी बधाई।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।
हटाएंबढ़िया।
जवाब देंहटाएंअति आभार सुशील जी ।
हटाएंयादों की खुबसूरत नज्म दिल में घर कर गई
जवाब देंहटाएंअति आभार संजय जी :)
हटाएंतुम कहो दास्ताने मुहब्बत ।
जवाब देंहटाएंहम सुने तो शराफत नही है ।।... क्या बात है , बहुत खूब
🙏🙏 बहुत बहुत आभार अटूट बंधन ।
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