(1)
अंजुरी भर
रंग छिड़क दिये
कोरे कैनवास पे
उभरा अक्स
ओस कणों से भीगा
जाना पहचाना सा
(2)
धीर गंभीर
झील की सतह सा
सहेजे विकलता
मन आंगन
कितना उद्वेलित
सागर लहरों सा
(3)
तुम्हारा मौन
आवरण की ओट
कहानी कहता है
एक लक्ष्य है
अर्जुन के तीर सा
चिड़िया के चक्षु सा
XXXXXXX
सम्पूर्ण अर्थ लिए कुछ शब्दों में दूर की बात कहते हुए लाजवाब सेदोका ...
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ।।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २० जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
"पांच लिंको का आनंद"में मेंरे लिखे "सेदोका" शामिल कर मान देने के लिए बहुत बहुत आभार श्वेता जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंआभार विश्वमोहन जी ।
हटाएंवैसे मीना जी मुझे सेदोका के बारे ज्यादा कुछ नहीं पता पहली बार पढ़ा पर जितना समझा बढ़िया लगा .....बेहद उम्दा और पैनी ...बेहतरीन हैं !
जवाब देंहटाएंसेदोका भी हाइकु और तांका की तरह जापानी कविता शैली है संजय जी आप लिखेंगे तो बहुत सुन्दर लिखेंगे ऐसा यकीन है मेरा । आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार ।
हटाएंकम शब्दों में घरी बातें ... लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
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