आप अपने मन की सुना कीजिए ।
और सच के मोती चुना कीजिए ।।
क्यों उलझते हैं तेरे मेरे के फेर में ।
बहते दरिया की तरह से बहा कीजिए
हम.मिलते तो कभी कभी हैं ।
मगर लगता दिल से यही है ।।
साथ है हमारा कई जन्मों से ।
सच है ये कोई दिल्लगी नही है ।।
जीने का शऊर आ गया तेरे बिन
तूने भी.सीख लिया जीना मेरे बिन
जरूरी है आनी दुनियादारी भी
जिन्दगी काटनी मुश्किल इस के बिन
जिन्दगी काटनी मुश्किल इस के बिन
गिरना संभलना , संभल कर चलना
रोज नये हुनर सिखाती जिन्दगी ।
नित नई भूलों से , नित नये पाठ
समय के साथ सिखाती जिन्दगी ।।
XXXXXXX
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
"पाँच लिंकों का आनन्द" से जुड़ कर सदैव हर्ष की अनुभूति होती है बहुत बहुत आभार श्वेता जी इस सम्मान के लिए ।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंभूल से पाठ सीखने वाले कभी पीछे नहि मुड़ते ...
बहुत लाजवाब हैं सभी मुक्तक ..,
उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद नासवा जी ।
हटाएंलाजवाब मुक्तक....
जवाब देंहटाएंक्यों उलझते हैं तेरे मेरे के फेर में ।
बहते दरिया की तरह से बहा कीजिए
वाह!!!!
बहुत बहुत आभार सुधा जी ।
हटाएंसभी मुक्तक बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
तहेदिल से शुक्रिया नदीश जी ।
हटाएंवाह उम्दा फलसफा ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद आप की "सुन्दर" सी प्रतिक्रिया मिली , तहेदिल से धन्यवाद सुशील जी।
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका अमित जी ।
जवाब देंहटाएंजीने का शऊर आ गया तेरे बिन
जवाब देंहटाएंतूने भी.सीख लिया जीना मेरे बिन
जरूरी है आनी दुनियादारी भी
मुश्किल है जिन्दगी काटनी इस के बिन---
क्या बात है प्रिय मीना जी !!!!!!! सभी मुक्तक जीवन के अलग अलग रंगों को सार्थक अभिव्यक्ति दे रहे हैं | हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें |
स्नेहिल सी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार रेणु जी ।
हटाएंऐ ज़िन्दगी हमने भी तेरे इशारे पे जीना सीख लिया, तूने चलाया और हमने चलना सीख लिया.....बेहद उम्दा मीना जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभारी हूँ संजय जी इतनी सुन्दर सी हौसला अफजाई के लिए ।
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