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शुक्रवार, 1 जून 2018

"एक दिन पहाड़ों वाला"



पहाड़ों के ठाट भी बड़े निराले हैं
मरकत और सब्ज रंगों से सजे
अपनी ही धुन में मगन ।
कुदरत ने भी दोनों हाथों सेे
नेह की गागर इन पर
बड़े मन से छलकी है ।
सांझ होते ही बादलों की
टोलियां इनकी ऊंची चोटियों पर
अपना डेरा डाल देती हैं ।
रात के आंगन में जुगनूओं की चमक
और दूर वादी में ढोल की थपक
फिजाओं में संगीत घोलती है ।
भोर के उजाले में
पूरी की पूरी कायनात
स्वर्णिम आभा से नहा उठती है ।
बातों के पीर तरह तरह के पंछी
अपनी गठरियों से किस्से  कहानी
सुनाते दिन भर चहकते हैं ।
और सारा दिन यूं ही चंचल  हिरण सा
कभी इस घाट तो कभी  उस घाट
कुलांचे भरता आंखों से ओझल हो जाता है।

        XXXXX

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना मीना जी...👌
    प्रकृति का अनुपम राग
    गाते सुनो पहाड़ को फाग
    फूल मुसकुराये जब हंसे पहाड़
    दग्ध हृदय से गिरे अश्क जब
    लग जाय पहाड़ पर आग

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. काव्यात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार श्वेता जी :)

      हटाएं
  2. बड़े करीब से जाना है आपने इस प्रकृति के मनोरम दृश्य को.
    बेहद उम्दा रचना.

    कविता और मैं

    .

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  3. पहाड़ों के ठाट भी बड़े निराले हैं
    पहाड़ों पर भोर की ओस की बुँदे जब सूरज की पहली किरण को स्पर्श करती है तो मानो भूमि में मोती बिखर जाते है ऐसे मनोहर दृश्य को देख कर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है पर पहाड़ों की ख़ूबसूरती को महज शब्दों में बयां वही कर सकता है जिसने पहाड़ो पर जाकर प्रकृति को करीब से देखा हो प्रकृति के मनोरम दृश्य और पहाड़ों की ख़ूबसूरती को बहुत सुंदरता के साथ लिखा है आपने मीना जी :)

    जवाब देंहटाएं
  4. सचमुच अनुपम है पहाड़ों पर प्रकृति दर्शन । आपकी व्याख्यायित प्रतिक्रिया ने रचना को और भी सुन्दरता दे दी । आपका तहेदिल से धन्यवाद संजय जी :)

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह! बहुत सुंदर लिखा आपने। बधाई और आभार!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 03 जून 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद दिग्विजय जी मेरी रचना "पांच लिंक़ो का आनंद में" सम्मिलित करने हेतु । इस सम्मान के लिए पुनः आभार ।

      हटाएं
  8. बहुत ख़ूब ...
    पहाड़ों के एक दिन की दिनचर्या कितनी विविध होती है ...
    प्राकृति के क़रीब जीवन से। भरपूर रचना ...

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"