( 1 )
सहमति हो किसी बात के लिए भी ।
संभव नहीं ये किसी के लिए भी ।।
कई बार मौन भी ओढ़ना पड़ता है ।
सब के अमन-चैन के लिए भी ।।
( 2 )
निहारना चांद को भला सा लगता है ।
सौंदर्य का रसपान भी अच्छा सा लगता है ।।
खूबसूरती की कमी तो सूरज में भी नहीं ।
बस नजरे चार करना ही टेढ़ी खीर सा लगता है ।।
XXXXX
वाहः
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
तहेदिल से शुक्रिया लोकेश जी ।
हटाएंबहुत सुंदर ..
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद पम्मी जी ।
हटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २१ मई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
"लोकतंत्र" संवाद मंच में रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ध्रुव सिंह जी ।
हटाएंजय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 22/05/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
इस सम्मान के लिए हार्दिक आभार कुलदीप जी ।
हटाएं"पांच दिनों का आनंद" से जुड़ना मेरे लिए सदैव हर्ष की बात है ।
बहबहुत सुंदर सराहनीय मुक्तक है मीना जी👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार श्वेता जी ।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब....
बहुत बहुत आभार सुधा जी ।
हटाएंये टेडी खीर ही तो असली खूबसूरती छुपाए हुए है 😀
जवाब देंहटाएंबेदाग खूबसूरती प्रकाश मय पर्दे में।
खूबसूरत
तहेदिल से शुक्रिया रोहित जी ।
हटाएंबहुत सुंदर सार्थक मुक्तक आदरणीय मीना जी | सस्नेह ०००
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सुधा जी ।
हटाएंसहमत आपकी बात से ... मौन बहुत ज़रूरी हो जाता है कई बार सब की शांति के लिए ... साइनो मुक्तक महावन हैं ... मुखर हैं ...
जवाब देंहटाएंआप की प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा सदैव रहती है ।आज बहुत सारी रचनाओं पर आपकी प्रतिक्रिया देख कर खुशी हुई ।
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
गहन अर्थपूर्ण मुक्तक। दोनों में ही विशेष संदेश।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मीना जी ।
हटाएंखूबसूरती की कमी तो सूरज में भी नहीं ।
जवाब देंहटाएंबस नजरे चार करना ही टेढ़ी खीर सा लगता है
सहज शब्दों में सहजता से इतनी बड़ी बात कह दी आपने खूबसूरत व्याख्या !!
हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद संजय जी ।
हटाएंमीना जी, टेढ़ी खीर उन्हें मुबारक ! हमको तो आपकी कविता की मीठी खीर खाने को मिल रही है.
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद गोपेश जी :)
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