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गुरुवार, 22 मार्च 2018

अहसास” (तांका)

जब रूह से
कोरे कागज पर
उतरते हैं
मूक अहसास तो
कहानी बनती है

बिन बोले ही
महसूस करे जो
अनसुलझे
मन के जज्बात तो
कहानी बनती है

अहसास हैं
संवेगों का दरिया
सुगमता से
बंधे मन छोर तो
कहानी बनती है

XXXXX

20 टिप्‍पणियां:

  1. महसूस करे जो
    अनसुलझे
    मन के जज्बात
    आप अल्फाज़ के जरिये जो तस्वीरे गढ़ रही हैं... लाजवाब हैं

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    1. हौंसला अफजाई के लिए जितनी बार धन्यवाद कहूं कम होगा . आपकी सुन्दर सराहनात्मक प्रति‎क्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी .

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 26 मार्च 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "पांच लिंकों का आनन्द"‎ के निमन्त्रण के लिए हृदयतल से आभार दिग्विजय जी ."पांच लिंकों का आनन्द" से जुड़ना मेरे लिए सदैव हर्ष का विषय होता है .

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  3. मीना जी, शब्द सीमा में बंधा सुन्दर अहसास।

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    उत्तर
    1. हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया राकेश जी .

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  4. बहुत सुन्दर अहसास पर लाइन्स प्रस्तुत की

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय मीना जी -- छोटी सी पर बहुत प्रभावी रचना | सस्नेह ------

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत‎ आभार रेणु जी .

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    2. मन के अहसास को शब्दों में उतारा है इस लाजवाब टाँका में .. सच है अगर बिन बोले कोई मन समझ जाए तो प्रेम का अहसास है ...

      हटाएं
    3. आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया‎ हेतु बहुत‎ बहुत‎ धन्यवाद नासवा जी .

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"