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पेड़ों की डाल से
टूट कर गिरे चन्द फूल
अलग नही है
ब्याह के बाद की बेटियों से
आंगन तो है अपना ही
पर तब तक ही
जब तक साथ था
डाल और पत्तियों का
अब ताक रहे हैं
एक दूसरे को यूं
जैसे घर आए मेहमान हो
बेटियां भी तो मेहमान ही
बन जाती हैं तभी तो
पराया धन कहलाती हैं
आयेगा एक हवा का झोंका
और एक दूसरे से कह उठेंगे यूं
अब के बिछड़े ना जाने
और एक दूसरे से कह उठेंगे यूं
अब के बिछड़े ना जाने
कब मिलेंगे
यदि मिले इस जन्म में तो
बस चन्द लम्हों के लिए
मेहमानों के तरह मिलेंगे
XXXXX