और एक आज
कल में बीत गया ।
और एक साल
गत में बदल गया ।
जो आज है
उसकी नींव ।
जो कल था
उस पर टिकी है ।
और जो आएगा
उसकी आज पर ।
दिन , महिने , साल
यूं ही गुजरते हैं ।
एक दूसरे से बँधे
एक दूसरे के साझी ।
समय रूकता कहाँ हैं ?
बस चलता है
अनवरत , अविराम ।
एक हम ही हैं
जिसने समय की भी ।
बना दी हैं सीमाएँ
अपने मतानुसार ।
XXXXX
जी सही लिखा आपने मीना जी,सच में हम भी ऐसा ही मानते हैं। बहुत सुंदर रचना👌
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
नववर्ष की शुभकामनाओं सहित बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी .
हटाएंसमयानुसार सार्थक रचना..
जवाब देंहटाएंआभार पम्मी जी . नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ .
हटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'बुधवार ' ०३ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएं"लोकतन्त्र" पर रचना को लिंक कर सम्मान देने के लिए आभार ध्रुव सिंह जी .
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ऋतु जी .
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद .
हटाएंशुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमृता जी .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंआभार सुधा जी .
हटाएंसच कहा है आपने ... इंसान जो न करे वो कम है ...
जवाब देंहटाएंहालाँकि उसका बस नहि इस रफ़्तार पर ... गहरी सोच से उपजी रचना ...
नव वर्ष मंगलमय हो ...
नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ नासवा जी . बहुत बहुत धन्यवाद रचना सराहना हेतु .
हटाएंआपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंनिमन्त्रण के लिए आभार ध्रुव सिंह जी .
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