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बुधवार, 29 नवंबर 2017

"आदत"

उम्र‎ का आवरण
मंजिल का फासला
तय करते  करते‎
थक सा गया है
कदमों की लय भी
विराम चाहती हैं
आदत है कि…..,
आज भी चाँद के
साथ साथ चलती हैं
पानी से भरी बाल्टी में
बादलों की भागती परतें
आज भी वैसे ही
उतरती हैं और
अनन्त आसमान की
ऊँचाईयाँ मेरी आँखों‎
के साथ  साथ‎
छोटे से बर्तन की
सतह में भरती है .

XXXXX

11 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय /आदरणीया आपको अवगत कराते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हिंदी ब्लॉग जगत के 'सशक्त रचनाकार' विशेषांक एवं 'पाठकों की पसंद' हेतु 'पांच लिंकों का आनंद' में सोमवार ०४ दिसंबर २०१७ की प्रस्तुति में आप सभी आमंत्रित हैं । अतः आपसे अनुरोध है ब्लॉग पर अवश्य पधारें। .................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  2. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/12/46.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  3. खूबसूरत अहसास से भरी पानी की बाल्टी, बादलों के परतों को छूती अंन्नत आकाश की ऊंचाइयां बहुत खूबसूरत कविता ...।

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  4. स्वागत एवं सुन्दर‎ सी प्रतिक्रिया‎ के लिए आभार अनीता जी .

    जवाब देंहटाएं
  5. क्या कहने....बहुत सुंदर रचना कविता का भाव और प्रस्तुतिकरण बेजोड़
    साथ साथ चलती हैं
    पानी से भरी बाल्टी में
    बादलों की भागती परतें

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद संजयजी ! इस सुन्दर‎ सी प्रतिक्रिया‎ के लिए‎ .

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"