उम्र का आवरण
XXXXX
मंजिल का फासला
तय करते करते
थक सा गया है
कदमों की लय भी
विराम चाहती हैं
आदत है कि…..,
आज भी चाँद के
साथ साथ चलती हैं
पानी से भरी बाल्टी में
बादलों की भागती परतें
आज भी वैसे ही
उतरती हैं और
अनन्त आसमान की
ऊँचाईयाँ मेरी आँखों
के साथ साथ
छोटे से बर्तन की
सतह में भरती है .
XXXXX