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सोमवार, 16 अक्टूबर 2017

“एक ख़त”

This image has been taken from google


एक दिन पुरानी‎ फाइलों में
कुछ ढूंढते ढूंढते
अंगुलि‎यों से तुम्हारा‎
ख़त  टकरा गया
कोरे  पन्ने पर बिखरे
चन्द  अल्फाज़…, जिनमें
अपने अपनेपन की यादें
पूरी शिद्दत के साथ मौजूद थी
मौजूद तो गुलाब की  
कुछ पंखुड़ियां भी थी
जो तुमने मेरे जन्मदिन पर
बड़े जतन  से
खत के साथ भेजी थी .,
उनका सुर्ख रंग
कुछ‎  खो सा गया है
हमारे रिश्ते का रंग भी अब
उन पंखुड़ियों की तरह
पहले कुछ और था लेकिन 
अब कुछ और हो गया है

xxxxx

23 टिप्‍पणियां:

  1. https://dialusedu.blogspot.in/2017/10/latest-new-26-amazing-facts-26.html

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  2. दिनांक 17/10/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...

    जवाब देंहटाएं
  3. "पाँच लिंकों का आनन्द‎" में मेरी रचना को स्थान देकर मान देने के लिए‎ हृदयतल से आभार कुलदीप जी .

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर ! रिश्तों के रंग भी फीके पड़ जाते हैं समय के साथ....

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  5. बहुत सुंदर रचना मीना जी,भाव पलकों से उतर कर कलम से बहने लगी।वाह्ह👌

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    उत्तर
    1. आभार श्वेता जी ."पाँच लिंकों का आनन्द‎" की चर्चा‎कार मंडल‎ का सदस्य‎ चयनित होने के लिए‎ आपको बहुत बहुत‎ बधाई.

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. स्वागत आपका ब्लॉग पर एवं बहुत बहुत‎ आभर रचना‎ सराहना हेतु .

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. अंगुलि‎यों से तुम्हारा‎ ख़त टकरा गया ...रचना पढ़ने बाद बस यही सोच रहा हूं किसकी तारीफ करूं सुंदर कविता की आपकी सोच की ग़ज़ब की कविता ...कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है !

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  9. आप स्वयं बेहद अच्छा लिखते हैं .अपने साथी लेखकों के लिए अपने हृदय के उद्गार हो या कोई अन्य विधा भाव संप्रेषण कला में बेजोड़ है आपकी लेखनी .रचना की इतनी सुन्दर सराहना के लिए हृदयतल से आभार संजय जी .

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  10. रंगों को रिश्तों से सजाना हमारे हाथ ही तो है ...
    चाहे जिन रंगों में रंग लो ... गहरे एहसास भरी नज़्म ...

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    उत्तर
    1. अनमोल सराहना के लिए‎ अत्यन्त आभार नासवा जी .

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"