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एक दिन पुरानी फाइलों में
कुछ ढूंढते ढूंढते
अंगुलियों से तुम्हारा
ख़त टकरा गया
कोरे पन्ने पर बिखरे
चन्द अल्फाज़…, जिनमें
अपने अपनेपन की यादें
पूरी शिद्दत के साथ मौजूद थी
मौजूद तो गुलाब की
कुछ पंखुड़ियां भी थी
जो तुमने मेरे जन्मदिन पर
बड़े जतन से
खत के साथ भेजी थी .,
उनका सुर्ख रंग
कुछ खो सा गया है
हमारे रिश्ते का रंग भी अब
उन पंखुड़ियों की तरह
पहले कुछ और था लेकिन
अब कुछ और हो गया है
xxxxx |
https://dialusedu.blogspot.in/2017/10/latest-new-26-amazing-facts-26.html
जवाब देंहटाएंThanks for sharing the link.
हटाएंवाहःह खूब
जवाब देंहटाएंआभार लोकेश जी .
हटाएंदिनांक 17/10/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
"पाँच लिंकों का आनन्द" में मेरी रचना को स्थान देकर मान देने के लिए हृदयतल से आभार कुलदीप जी .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....
जवाब देंहटाएंआभार सुधा जी .
हटाएंबहुत सुंदर ! रिश्तों के रंग भी फीके पड़ जाते हैं समय के साथ....
जवाब देंहटाएंरचना सराहना हेतु आभार आभार मीना जी.
हटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद राजीव जी .
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सुशील जी .
हटाएंबहुत सुंदर रचना मीना जी,भाव पलकों से उतर कर कलम से बहने लगी।वाह्ह👌
जवाब देंहटाएंआभार श्वेता जी ."पाँच लिंकों का आनन्द" की चर्चाकार मंडल का सदस्य चयनित होने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई.
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंस्वागत आपका ब्लॉग पर एवं बहुत बहुत आभर रचना सराहना हेतु .
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअंगुलियों से तुम्हारा ख़त टकरा गया ...रचना पढ़ने बाद बस यही सोच रहा हूं किसकी तारीफ करूं सुंदर कविता की आपकी सोच की ग़ज़ब की कविता ...कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है !
जवाब देंहटाएंआप स्वयं बेहद अच्छा लिखते हैं .अपने साथी लेखकों के लिए अपने हृदय के उद्गार हो या कोई अन्य विधा भाव संप्रेषण कला में बेजोड़ है आपकी लेखनी .रचना की इतनी सुन्दर सराहना के लिए हृदयतल से आभार संजय जी .
जवाब देंहटाएंरंगों को रिश्तों से सजाना हमारे हाथ ही तो है ...
जवाब देंहटाएंचाहे जिन रंगों में रंग लो ... गहरे एहसास भरी नज़्म ...
अनमोल सराहना के लिए अत्यन्त आभार नासवा जी .
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