जब सूरज की तपिश तेज होती है और सूखी धरती पर
बारिश की पहली बार बूँदें टकराती है तो मिट्टी के वजूद
से उठती गंध मुझे बड़ी भली लगती है। आजकल जमाना
फ्रिज में रखी वाटर बॉटल्स वाला है मगर मेरे बचपन में
मिट्टी की सुराहियों और मटकों वाला था। मुझे याद है मैं
सदा नया मटका धोने की जिद्द करती और इसी बहाने
उस भीनी महक को महसूस करती रहती । माँ की
आवाज से ही मेरी तन्द्रा टूटती । बारिश शुरु होते ही
उस खुश्बू का आकर्षण स्कूल के कड़े अनुशासन में
मुझे नटखट बना देता और अध्यापिका की
अनुपस्थिति में खिड़की या
कक्षा कक्ष के दरवाजे तक आने को मजबूर कर
देता। एक दिन यूं ही कुछ पढ़ते पढ़ते पंजाब की प्रसिद्ध
लोक कथा ‘सोनी-महिवाल’ का प्रसंग पढ़ने को
मिल गया ,कहानी से अनजान तो नही थी मगर
उत्सुकतावश पढ़ने बैठ गई ।
कहानी का सार कुछ इस तरह था -------
बारिश की पहली बार बूँदें टकराती है तो मिट्टी के वजूद
से उठती गंध मुझे बड़ी भली लगती है। आजकल जमाना
फ्रिज में रखी वाटर बॉटल्स वाला है मगर मेरे बचपन में
मिट्टी की सुराहियों और मटकों वाला था। मुझे याद है मैं
सदा नया मटका धोने की जिद्द करती और इसी बहाने
उस भीनी महक को महसूस करती रहती । माँ की
आवाज से ही मेरी तन्द्रा टूटती । बारिश शुरु होते ही
उस खुश्बू का आकर्षण स्कूल के कड़े अनुशासन में
मुझे नटखट बना देता और अध्यापिका की
अनुपस्थिति में खिड़की या
कक्षा कक्ष के दरवाजे तक आने को मजबूर कर
देता। एक दिन यूं ही कुछ पढ़ते पढ़ते पंजाब की प्रसिद्ध
लोक कथा ‘सोनी-महिवाल’ का प्रसंग पढ़ने को
मिल गया ,कहानी से अनजान तो नही थी मगर
उत्सुकतावश पढ़ने बैठ गई ।
कहानी का सार कुछ इस तरह था -------
“18 वीं शताब्दी में चिनाब नदी के
किनारे एक कुम्भकार के घर सुन्दर सी लड़की का
जन्म हुआ जिसका नाम “सोहनी” था ।
पिता के बनाए मिट्टी के बर्तनों
पर वह सुन्दर सुन्दर आकृतियाँ उकेरती ।
पिता-पुत्री के बनाए मिट्टी की बर्तन दूर दूर तक
लोकप्रिय थे । उस समय चिनाब नदी से अरब देशों
और उत्तर भारत के मध्य व्यापार
हुआ करता था। बुखारा (उजबेकिस्तान) के अमीर
व्यापारी का बेटा व्यापार के सिलसिले में चिनाब
के रास्ते उस गाँव से होकर आया और सोहनी को देख
मन्त्रमुग्ध हो उसी गाँव में टिक गया । आजीविका
यापन के लिए उसी गाँव की भैंसों को चराने का काम
करने से वह महिवाल के नाम से जाना जाने लगा ।
सामाजिक वर्जनाओं के चलते सोहनी मिट्टी के घड़े
की सहायता से चिनाब पार कर महिवाल से छिप
कर मिलने जाती । राज उजागर होने पर उसी की
रिश्तेदार ने मिट्टी के पक्के घड़े को कच्चे घड़े मे
बदल दिया । चिनाब की धारा के आगे कच्ची मिट्टी
के घड़े की क्या बिसात ? घड़ा गल
गया और पानी में डूबती सोहनी को बचाते हुए
महिवाल भी जलमग्न हो गया ।"
किनारे एक कुम्भकार के घर सुन्दर सी लड़की का
जन्म हुआ जिसका नाम “सोहनी” था ।
पिता के बनाए मिट्टी के बर्तनों
पर वह सुन्दर सुन्दर आकृतियाँ उकेरती ।
पिता-पुत्री के बनाए मिट्टी की बर्तन दूर दूर तक
लोकप्रिय थे । उस समय चिनाब नदी से अरब देशों
और उत्तर भारत के मध्य व्यापार
हुआ करता था। बुखारा (उजबेकिस्तान) के अमीर
व्यापारी का बेटा व्यापार के सिलसिले में चिनाब
के रास्ते उस गाँव से होकर आया और सोहनी को देख
मन्त्रमुग्ध हो उसी गाँव में टिक गया । आजीविका
यापन के लिए उसी गाँव की भैंसों को चराने का काम
करने से वह महिवाल के नाम से जाना जाने लगा ।
सामाजिक वर्जनाओं के चलते सोहनी मिट्टी के घड़े
की सहायता से चिनाब पार कर महिवाल से छिप
कर मिलने जाती । राज उजागर होने पर उसी की
रिश्तेदार ने मिट्टी के पक्के घड़े को कच्चे घड़े मे
बदल दिया । चिनाब की धारा के आगे कच्ची मिट्टी
के घड़े की क्या बिसात ? घड़ा गल
गया और पानी में डूबती सोहनी को बचाते हुए
महिवाल भी जलमग्न हो गया ।"
*****
कभी कभी लगता है माटी की देह में कहीं सोहनी
तो कहीं किसी और अनजान तरुणी का प्यार बसा है ।
ना जाने कितनी ही अनदेखी और अनजान कहानियों
को अपने आप में समेटे है यह। तभी तो मिट्टी पानी
की पहली बूँद के सम्पर्क में आते ही सौंधी सी गमक
से महका देती है सारे संसार को ।
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