एक वादा था तुमसे
जो खेल खेल में कर दिया
जमीं पे तारे और
पूनम के चाँद का ।
काम जरा मुश्किल सा था
मगर बात भी जिद्द की थी
गुलमोहर के नीचे स्याह रात में
बड़े जतन से मुट्ठी भर
जुगनू लाकर छोड़े हैं ।
तारों की चमक तो आ गई
बस पूनम के चाँद की कमी है
तुम्हारे आने से वह हट जाएगी
और अधूरी बात पूरी हो जाएगी
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 03 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को "पाँच लिंकों का आनन्द" मे शामिल कर ने के लिए हृदयतल से आभार यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह...मीना जी,अति सुंदर, शानदार मनोभावों को सुंदर शब्दों में पिरोयी गयी आपकी रचना।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत वादा....
लाजवाब...
बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी .
जवाब देंहटाएंचाँद के आने का खूबसूरत सा इतजार और एक अधूरा सा वादा तथा इन सब के बीच मन की निमित्त आशा का बड़ी ही खूबसूरत प्रकटीकरण। जीवन्त सी यह कविता अत्यन्त ही लुभावन है। बधाई आदरणीय मीना जी।
जवाब देंहटाएंकविता की प्रशंसा में उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी .
हटाएंआदरणीय ,अतिसुन्दर सृजन उम्दा ! शुभकामनाओं सहित ,आभार ''एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ध्रुव सिंह जी .
जवाब देंहटाएंबिम्बों और प्रतीकों का ख़ूबसूरती से प्रयोग हुआ है। हृदयस्पर्शी रचना। न्यूनतम शब्दों में समाया है अधिकतम घनत्व। कोमल एहसासों की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार रविन्द्र सिंह जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से शुक्रिया मीना जी ।
जवाब देंहटाएंबाकी है बस उनका आना ... वादा पूरा होगा जरूर होगा ...
जवाब देंहटाएंप्रेम के वादे जरूर पूरे होते हैं ...
जवाब देंहटाएंरचना सराहना हेतु हृदयतल से आभार दिगम्बर जी।
एक वादा था तुमसे
जवाब देंहटाएंजो खेल खेल में कर दिया
जमीं पे तारे और पूनम के चाँद का ।
तारीफ़ के लिए शब्द तलाश रहा हूँ मीना जी सुंदर एहसास के साथ एक प्यारी सी कविता :)
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी :) ।
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