top hindi blogs

Copyright

Copyright © 2024 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

रविवार, 27 अगस्त 2017

“अक्सर”

जब भी सूरज चन्द दिनों की खतिर
बादलों की रजाई ओढ़ जब
एकान्तवास में चला जाता है तो
प्रकृति गमगीन सी हो जाती है
तब एक हूक सी उठती‎ है सीने मे
और रगों में लहू के साथ
तुम्हारे साथ जीये खट्टे-मीठे
अनुभूत पलों की याद
बादलों में बिजली की सी
कौंध बन दिल  मे उतर  जाया करती है

    xxxxx

8 टिप्‍पणियां:

  1. गहन पंक्तियाँ, हृदय की टीस को प्राकृतिक प्रतीकों द्वारा व्यक्त करती आपकी रचना मीना जी आपकी सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रकाश की कमी अक्सर मन में नम भाव उदित कर देती है ... ऐसे में खट्टे मीठे पल यादें बन के उतर आते हैं ... बहुत भावपूर्ण ...

    जवाब देंहटाएं
  3. रचना‎ सराहना के लिए‎ बहुत बहुत‎ धन्यवाद दिगम्बर जी .

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन शब्‍द संयोजन मीना जी सीधे हृदय की टीस व्यक्त करती रचना!

    जवाब देंहटाएं
  5. रचना‎ सराहना के तहेदिल से शुक्रिया संजय जी .

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"