तारों की उजली छाँह तले
जब आसमान के आंगन में ,
चन्दा और चान्दनी
मुदित भाव से मिलते हैं ।
और धरती के इस आंगन में
पुरुवाईयों के झोको से,
बेला , चम्पा , गुलाब संग
रजनीगंधा महकते हैं ।।
तब वृन्दावन में यमुना तट पे
पूर्णचन्द्र सम कृष्णचन्द्र ,
वृषभानुसुता और गोपियों संग
महारास में सजते हैं ।।XXXXX
बहुत सुंदर शब्द संयोजन खूबसूरत रचना मीना जी।
जवाब देंहटाएंआपको भी जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी . राधे राधे .
हटाएंसुन्दर शब्दों क कमाल ... कान्हा के रास और प्राकृति की गति को जैसे प्राण वायु मिलती है ... तभी महारास रचती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद दिगम्बर जी . जय श्री कृष्ण .
हटाएंसीधे दिल में उतर जाने वाली खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंजनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत आभार संजय जी ! जय श्री कृष्ण !!
जवाब देंहटाएं