तुम्हारी मौजूदगी मेरे लिए बड़े मायने रखती है
जब तुम साथ होते हो तो मेरे संग घर की
खामोश दीवारें भी बोल उठती हैं ।
चंचलता की हदें तो तब टूटती हैं
जब समय पंख लगा कर उड़ता और
नाचता सा भागने लगता है ।
तुम्हारी गैर मौजूदगी में आलस
खामोशी की चादर घर और मन के कोनों
की खूटियों पर टांग देता है ।
तब समय थम सा जाता है
सन्नाटा पसर जाता है और
मन भी नीरवता में डूब जाता है ।
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बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद लोकेश नदीश जी .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....गहरे ज़ज्बात है इस रचना में :)
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार संजय जी .
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