खामोशियों में डूबा मन ।
गहराईयों की बात करता है ।।
तय नही करता दो कदम की दूरी ।
क्षितिज तक जाने की बात करता है ।।
जिद्दी है , एक सुने ना मेरी ।
अपनी ही धुन में मगन चलता है ।।
समझे ना जमीनी हकीकत ।
किताबों की दुनिया की बात करता है ।।
दुष्कर है जीना खुद के लिए ।
औरों पे मरने की बात करता है ।।
XXXXX
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏
- "मीना भारद्वाज"