सावन-भादौ
रिमझिम बरखा
हर्षित मन
नव उमंग
निरखै हरीतिमा
हँसें नयन
हाल-बेहाल
जलमग्न संसार
खण्डित स्वप्न
धरतीपुत्र
श्रमशाली मानव
आज विपन्न
XXXXX
रिमझिम बरखा
हर्षित मन
नव उमंग
निरखै हरीतिमा
हँसें नयन
हाल-बेहाल
जलमग्न संसार
खण्डित स्वप्न
धरतीपुत्र
श्रमशाली मानव
आज विपन्न
XXXXX
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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏
- "मीना भारद्वाज"