कुछ समेटने की खातिर
कभी भावों में
कभी कपड़ों में
मन से लगे जब गाँठ
कभी भावों में
कभी कपड़ों में
मन से लगे जब गाँठ
तब बनती है पोटली।
आम आदमी के ख्वाब
कभी मजदूर की रोटी
खुद में ही चुपचाप
बड़े जतन से
बाँध रखती है पोटली
मायावी संसार
बड़े जतन से
बाँध रखती है पोटली
मायावी संसार
परी-कथाओं का अम्बार
भावों के वितान में
भावों के वितान में
बच्चों की दुनिया
समेट रखती है पोटली।
समेट रखती है पोटली।
कभी जीवन की
कड़वाहट
कभी पुलकन भरी
मुस्कुराहट
कड़वाहट
कभी पुलकन भरी
मुस्कुराहट
यादों को परतों में
लपेट रखती है पोटली।
लपेट रखती है पोटली।
शैक्षणिक प्रमाण पत्र
किसी गृहिणी का स्वप्न
घर के किसी कोने में
किसी गृहिणी का स्वप्न
घर के किसी कोने में
धूल फांकने से
सुरक्षित रखती है पोटली।
सुरक्षित रखती है पोटली।
XXXXX
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद संजय जी .
जवाब देंहटाएंमन के एक कोने में रखी रहती है यह पोटली आँखें बंद कर प्रत्येक तय को पलट फिर सहेजकर रख दो. इसी पोटली के सहारे जीवन को संबल मिलता है ज़िंदगी की अनमोल धरोहर है यही पोटली. बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित सृजन आदरणीया मीना दीदी जी.
जवाब देंहटाएंसादर
रचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर सहज व्याख्यायित प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता ! सस्नेह ।
हटाएं