तुम्हारी छोटी-छोटी बातें
मुझे अहसास कराती हैं
इस बात का कि..
तुम्हें मेरी परवाह है
बातों की शुरुआत से पहले
‘एक बात कहूँ’ की
मेरी आदत..
स्मित सी मुस्कान
तुम्हारे
होठों पर भर देती है
मेरे बीमार हो जाने पर
प्यार से तुम्हारे हाथ से बनी
एक चाय की प्याली
मेरे दिलोदिमाग में
एक पुलकन सी भर देती है
किसी बहस के
दरमियान
चीन की दीवार बन
'अहं का द्वन्द'
कभी-कभी मेरे-तुम्हारे
बीच आ जाता है
मेरे कान पकड़ना
और फिर तुम्हारा
'सॉरी ‘ बोलना
मेरे मन की बर्फ को
पानी सा पिघला जाता है
तुम्हारी यही
छोटी-छोटी बातें
मुझे अहसास कराती
इस बात का कि
तुम्हें मेरी कितनी परवाह है
XXXXX
सच कहती पंक्तियाँ .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट ….शब्दों की मुस्कराहट पर आपका स्वागत है
बहुत बहुत आभार संजय जी .आपकी पोस्ट"शब्दों की मुस्कुराहट"के निमन्त्रण के लिए हार्दिक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (०९-०३-२०२१) को 'मील का पत्थर ' (चर्चा अंक- ४,००० ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
"मील का पत्थर" चर्चा प्रस्तुति में रचना को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार अनीता जी !
हटाएंबहुत सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंअहसास मन के आसपास के ।
अभिनव सुंदर।