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शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

"क्षणिकाएँ"

(1)
सीधी सरल बातें
शब्दों की जुगलबंदी में ढल कर
कभी गीत तो कभी‎ कविता बन कर
मन को बहला जाती हैं‎ ।
यही बातें जब सतसइयां के दोहरे बन कर
तीर का काम करती हैं तो
तुलसीदास जी से
रामचरित मानस लिखा जाती हैं ।।

(2)
आँखों के कोर गीले से हैं
मन का कोई कोना भी भीगा ही होगा ।
जुबान पर इतना रूखापन
लगता है, मुद्दतों से पानी नही बरसा ।।


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- "मीना भारद्वाज"