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शुक्रवार, 24 मार्च 2017

“गुरुदक्षिणा”

उदास शब्दों के जादूगर !
तुम से मैंने बहुत कुछ सीखा है ।
ख्यालों की खूबसूरती​ और
जमीन की हकीकत ।

जीवन की हकीकत , किताबों में नही ,
दुनियां की रवायतों में होती है ।
मैंने जाना तुम से यह शब्दों की सुघड़ता में
चैन की नींद सोती है ।

तिनका-तिनका  गूंथ कर ,
बैया के घोंसले की मानिंद तुम ।
अपने दर्द को शब्दरुपी रंगों में ढाल
जिन्दगी का खाली कैनवास भरते हो ।

उदास शब्दों के जादूगर !
तुम से मैंने बहुत कुछ सीखा है ।
ख्यालों की खूबसूरती​ और
जमीन की हकीकत ।

XXXXX


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- "मीना भारद्वाज"