छन्द अलंकारों से सजी कविता
मुझे सोलह श्रृंगार युक्त दुल्हन
तो कभी बोन्सई की
वाटिका समान लगती है ।
वाटिका समान लगती है ।
कोमलकान्त पदावली और
मात्राओं-वर्णों की गणना
मात्राओं-वर्णों की गणना
उपमेय-उपमान ,
यति-गति के नियम
यति-गति के नियम
भाषा सौष्ठव सहित
छन्दों की संकल्पना ।
छन्दों की संकल्पना ।
कोमल इतनी की छूने से
मुरझा जाने का भरम पलता है
नर्म नव कलिका सी
टूट जाने का डर लगता है ।
टूट जाने का डर लगता है ।
मुझे कविता कानन में
बहती बयार तो कभी
निर्मल निर्झर समान लगती है
बहती बयार तो कभी
निर्मल निर्झर समान लगती है
नियम में बाँधू तो जटिल आंकड़ों की
संरचना जान पड़ती है ।
संरचना जान पड़ती है ।
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