गेसुओं में फिरती अंगुलियों की गर्माहट ,
दबे सुर में लोरी की गुनगुनाहट ।
आँखों में जलन सी भरी है ,
एक अंजुरी भर नींद की भेजो ना ।।
भूली-बिसरी यादों की ,
गाँठ लगी गठरी ।
घर के किसी कोने में ,
बेतरतीब सी रखी है ।।
एक गुजारिश है तुमसे ,
मेरी अनमोल सी थाती को ।
मेरे अहसासों से भरी
नेह भरी पाती को ।
मेरे अहसासों से भरी
नेह भरी पाती को ।
वक्त की गर्द से निकाल
मुझ तक भेजो ना ।।
मुझ तक भेजो ना ।।
XXXXX
मन को गुदगुदाती गुजारिश। बधाई।।।।।
जवाब देंहटाएंरचना सराहना के लिए धन्यवाद पुरुषोत्तम जी .
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों को प्रभावी शब्द दिए हैं आपने.खूबसूरत
जवाब देंहटाएंब्लॉग की बहुत सी रचनाएँ पढ़ने ..,अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाएँ प्रकट करने के लिए मैं आपका जितना आभार प्रकट करूं कम होगा . अपना बहुमूल्य समय मेरी रचनाओं को देने के लिए पुन: बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी .
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