दूर देश जा बैठी हो माँ!
यादों मे अब तो तुम्हारा
अक्स भी धुंधला पड़ गया है
सावन की तीज के झूले
अक्सर तुम्हारी याद दिलाते हैं
तुम्हारा और भाई का प्यार
उसी दिन तो बरसता था
मोटी रस्सी से बना झूला
पहले उसी के बोझ को
परखता था
कल ही किसी ने कहा था
मुझे "माँ"पर कुछ कहना है
माँ का प्यार, माँ के संस्कार
कुछ तो दे कर, कह कर जाती माँ.
कैसे कहूँ सब के बीच
तुम्हारी बहुत याद आती है माँ!
XXXXX
....बहुत मार्मिक प्रस्तुति..जीवन के कटु सत्य को बहुत ही मर्मस्पर्शी ढंग से उकेरा है..बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति जो मन को भिगो जाती है..आभार
जवाब देंहटाएंआपकी यह सराहना मेरे लिए बहुत मायने रखती है संजय जी .
हटाएंमन को सहलाता सरगम!बधाई इतनी मार्मिक रचना के लिए!एक स्नेहिल भेंट:
जवाब देंहटाएंhttp://vishwamohanuwaach.blogspot.com/2014/01/blog-post_6980.html
आपकी मर्म छूती प्रतिक्रिया से लिए बहुत बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी .
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 20 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद में सृजन को मान देने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ।
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु सादर आभार सर।
हटाएंमाँ की याद पर बहुत ही हृदयस्पर्शी लाजवाब भावाभिव्यक्ति...।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सुधा जी।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-01-2021) को "अभी बहुत कुछ सिखायेगी तुझे जिंदगी" (चर्चा अंक-3938) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
चर्चा मंच पर सृजन को मान देने के लिए हार्दिक आभार सर 🙏
हटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सर !
हटाएंमाँ की अनगिनत स्मृतियों में खो जाने वाली रचना
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सर !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना भरी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर।
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति....माँ की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती....
जवाब देंहटाएंरचना के मर्म तक पहुँचने के लिए हृदय से आभार विकास जी ।
हटाएं