सुना कहीं से , शहर में कल रात
अचानक बाढ़ आ गई
प्राकृतिक आपदा है
कभी भी , कहीं भी
बिना चेतावनी के, आ जाती है
दुख की बात है
आती है तो विनाश और
भयावहता की लकीरें भी छोड़ जाती है
दुखी हम हैं तो बचाव के रास्ते भी
हमें ही तलाशने होंगे
ईंट-पत्थरों के नहीं
संस्कारों के भवन बनाने होंगे
सजग हौंसलों और दृढ़ संकल्प की
दरकार होगी
आरोपों-प्रत्यारोपों से नही
मानवीय गुणों से जिन्दगियाँ
आबाद होंगी .
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मानवीय गुणों से जिन्दगियाँ
जवाब देंहटाएंआबाद होंगी
............गहरी बात कही। शुभकामनायें।
बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी .
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