एक अधूरी कविता,सोचा कल पूरी करुंगी
अधूरी इसलिए कि भाव और विचार
आए और चले गए , कल ही की तरह
कल का क्या ? आज के बाद
रोज ही आता है और रोज ही जाता है
कल कभी आया नही और
कविता पूरी हुई नही
मन की बातें…, पन्नों पर बेतरतीब सी
टेढ़ी-मेढ़ी विथियों की तरह
अक्सर मुँह चिढ़ाती हैं तो कभी
सम्पूर्णता हेतु अनुनय करती हैं
मगर क्या करुं….?
दिल आजकल दिमाग का काम करने लगा है
कोमलता की बातें भूल बस
समझ -बूझ की हठ करने लगा है .
×××××
उम्मीद पर दुनिया कायम है...मिलेगा ...ज़रूर मिलेगा अधूरी कविता जरूर पूरी होगी
जवाब देंहटाएंसंजय जी टंकण त्रुटि के कारण आपका नाम गलत लिखा गया इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ .हौसला अफजाई के लिए हृदयतल से धन्यवाद आप का.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (05-02-2020) को "आया ऋतुराज बसंत" (चर्चा अंक - 3602) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार सर ! मेरी इस रचना को चर्चा मंच की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर ,अक्सर कुछ बाते अधूरी ही रह जाती हैं ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार कामिनी जी ! स्नेहिल आभार ।
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