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मंगलवार, 13 दिसंबर 2016
“अवधपुरी” (हाइकु)
अवध जन
देख दुल्हा-दुल्हिन
मुदित मन
हर्षित नृप
रघुकुल नन्दन
राजतिलक
रानी के वर
भये भूप विकल
मूर्छित तन
निर्मल मन
सीय राम लखन
वन गमन
बिन राघव
भई दिशाविहीन
अवधपुरी
XXXXX
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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏
- "मीना भारद्वाज"
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