( 1 )
अपनेपन की धूप
कुछ कुनकुनी सी है
नील निर्झर दृगों का गीलापन
गवाह है इस बात का
उस पार के ग्लेशियर
पिघलने लगे हैं .
( 2 )
कौन से ईंट - गारे से तुमने
जिद्द का मजबूत पुल
तैयार किया है ?
स्नेहभाव से कितनी भी सेंध लगाओ
फेवीकोल के जोड़ से भी
मजबूत और गाढ़ा जोड़ है
लाख जतन करो टूटता ही नही .
XXXXX
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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏
- "मीना भारद्वाज"