top hindi blogs

Copyright

Copyright © 2025 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

“कह मुकरियाँ”

 



भोर हुए तो आंगन महके

उसके बिन सब बहके-बहके

बिन उसके दृग बोझिल हाय !

क्या सखी धूप ? ना सखी चाय ।।


इधर-उधर डरता सा तांके ,

मेरे अंगना निशदिन झांके।

सुन्दरता उसकी चित्त चोर ,

क्या सखी साजन? ना सखी मोर ।


वो आए कुदरत हर्षाये

नभ में घोर घटाएँ छाएं

मधुर -मधुर उसमें मादकता

क्या सखी महुवा ? ना सखी पुरवा ।


***





गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

“क्षणिकाएँ”

वक्त की शाख़ पर

 लदे खट्टे-मीठे फलों सरीखे 

अनुभवों को 

चिड़िया के चुग्गे सा

अनवरत 

चुनता रहता है इन्सान 

इसी का नाम ज़िंदगी है 


***


सोच के बिंदु न मिले तो

रहने दो स्वतन्त्र 

उस राह पर चलने का

भला क्या सार

जो गंतव्य की जगह चौराहे पर

जा कर ख़त्म हो जाए 


***



मंगलवार, 8 अप्रैल 2025

“परिवार”

घाटी में…

बर्फ से ढके मौन खड़े हैं 

देवदार

हवा की सरसराहट से 

काँपती कोई पत्ती 

जब हो जाती है बर्फ विहीन 

तो सजग हो उठता है पूरा पेड़ 

ऊपरी सतह की पत्तियाँ 

साझा कर लेती हैं 

तुषार कण 

साझा सुख-दुख संजीवनी है 

परिवार की


***


गुरुवार, 27 मार्च 2025

“क्षणिकाएँ “

 

समझ से परे है जीवन दर्शन की बातें 

बहुत बार .,,

अच्छा समय, अच्छे अनुभव, अच्छी बातें

ब्लैक-बोर्ड पर लिखे 

संदेश की तरह हो जाती हैं वाइप आउट 

लेकिन समस्या तब 

सुरसा सरीखा मुँह खोल देती है 

 जब हज़ार झंझटों के बाद भी

 दर्द की बातें  ..

चिपकी रह जाती है मन की दीवारों पर

उखड़े पलस्तर की मानिंद 


***

 मृगतृष्णा का आभास 

 अथाह बालू के समन्दर में ही नहीं होता

कभी-कभी हाइवे की सड़क पर 

चिलचिलाती धूप में भी

दिख जाता है बिखरा हुआ पानी

बस…,

मन में प्यास की ललक होनी चाहिए 


***


शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

“ज़िन्दगी” (2)

ज़िन्दगी ! 

तुझसे नेमत में मिले हर दर्द को मैंने 

तपती रेत के सागर में..,

 सूखे कण्ठ में पानी की एक बूँद सा पिया है 

 

 तुम्हारी दी  हर साँस को मैंने

 जी भर कर..,

नवजात शिशु समान हर पल

पहली साँस सा लिया है 


कई बार जीती हूँ , कई बार हारी हूँ 

जीत-हार की जंग में..,

न अपनों से शिकवा न ग़ैरों से गिला है 


मिली है तू पहली बार या आख़िरी बार

इस बात को कर दरकिनार 

तुम्हें इस बार मैंने ..,

पूरी शिद्दत के साथ जीया है 


***



मंगलवार, 21 जनवरी 2025

“क्षणिकाएँ”

समय रहते मोह भंग का

अहसास 

हो जाना अच्छी बात है  इससे 

शेष सफ़र

तय करने में आसानी रहेगी 

आख़िरकार ..,

 मंज़िल पाने का लक्ष्य भी तो

 जन्म के साथ ही

 तय हो जाया करता है 


*

तथ्य चाहे जो भी रहे हो 

सत्य का शाश्वत होना

जग ज़ाहिर सी बात है

 फिर भी.., न जाने क्यों ..?

इस फ़लसफ़े को 

नज़रअंदाज़ कर के

जीने की राह..,

आसान हो जाया करती है 


*

बुधवार, 1 जनवरी 2025

त्रिवेणी ( समय )

जीवन की राहों में कड़वी निम्बौरियाँ ही नहीं होती

 मीठे फलों की झरबेरियाँ भी होती हैं  बस ..,


 समय की आँच पर पके क्षण धैर्य की माँग करते हैं ।


🍁


तुम आए ..,साथ रहे.., किसी ने तुम्हे समझा.., किसी ने नहीं , 

तुम्हे अलविदा कह , तुम्हें ही बाँट , तुम्हारा स्वागत करते हैं…,


समय तुम बहुत अच्छे हो , हमारी ग़लतियाँ माफ़ करते हो ।


🍁